करते हैं नित उस काम को, जो है समाया ज्ञान में।
जो ध्यान है मन में बंधा, रहते हैं खुश उस ध्यान में॥
सन्देह का पैसा टका, रखते नहीं दूकान में।
नित मन की सुमरन साध कर, हर वक़्त में हर आन में॥
जिस नार का आधार है, उससे लगाये नार हैं॥९॥
राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.