रहते हैं खु़श जी में सदा, दिल गीर कुछ रहते नहीं।
व्योपार करते हैं बड़े, हर आन रहते हैं वहीं॥
झगड़ा नहीं करते ज़रा, गुस्सा नहीं होते कहीं।
मत की सुनी से मन लगा, सुख चैन है जी के तईं॥
खोटे मिलत से काम क्या, उनके खरे हितकार हैं॥८॥
राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.