थोड़ी सी पूंजी – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता – ४
थोड़ी सी पूंजी जिनके है, बैठे हैं वह भी मिलके यां।
ईधर टके दस बीस के, ऊधर धरी हैं कौड़ियां॥
और जो हैं हद टुट पूंजिये वह कौड़ियों की थैलियां।
कांधों पै रख जाते हैं वां, लगती जहां हैं गुदड़ियां॥
देखा तो यह सब पेट के, धन्धें हैं और बिस्तार हैं॥४॥