मन में जो नरसी खु़श हुए, सब साधु यूं कहने लगे।
सब हमने भर पाये रुपे, और हरि के दर्शन भी किये॥
हुंडी बड़ी लिखते रहो, हरि ने कहा है आप से।
नरसी यह बोले उनसे वां, अब किससे हो किरपा सके॥
जो जो कहा सब ठीक है, वह तो महा औतार हैं॥३२॥
राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.