जब साधु मिलने – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३१
जब साधु मिलने को गये, नरसी वहीं छुपने लगे।
वह मिनतियां करने लगे, और पांव नरसी के छुए॥
परशाद लाये और रुपे, कुछ रूबरू उनके धरे।
और जो सन्देसा था दिया, सब वह बचन उनसे कहे॥
नरसी ने जाना कृष्ण की किरपा के यह असरार हैं॥३१॥