कुछ मोल – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३
कुछ मोल मज़कूर है, कुछ ब्याज का है ठक ठका।
फैलावटें घर बीच की बीजक का चर्चा हो रहा॥
दल्लाल हुंडी पीठ के बाम्हन परखिये सुध सिवा।
आढ़त बिठाते हर जगह, चिट्ठी लिखाते जा बजा॥
कुछ रखने वाले के पते, कुछ जोग के इक़रार हैं॥३॥
राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.
कुछ मोल – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३