अब जो मिलोगे – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २९

अब जो मिलोगे – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २९


अब जो मिलोगे उनसे तुम, कहियो हमारी ओर से।
जो थे रुपै तुमने लिखे, वह हमने सब उनको दिये॥
यह काम क्या तुमने किया, थोड़े रुपै जो अब लिखे।
आगे को अब समझो यही, इतने रुपै क्या चीज़ थे॥
लाखों लिखोगे तुम अगर, देने को हम तैयार हैं॥२९॥


राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.

अब जो मिलोगे – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २९