यह कहके हुंडी दर्शनी, जिस दम उन्होंने दी दिखा।
श्रीकृष्ण जी ने प्यार से, हर हर्फ़ हुंडी का पढ़ा॥
जितने रुपै थे वां लिखे, वह सब दिये उनको दिला।
वह ख़ुश हुए जब कृष्ण ने, यूं हंस के साधुओं से कहा॥
यह अब जिन्होंने है लिखी, हम उनसे रखते प्यार हैं॥२८॥
राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.