यह बात सुनकर – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २२
यह बात सुनकर साधु वां, नसी से बोले उस घड़ी।
लिख दो हमें किरपा से तुम, हमको यह हुंडी दर्शनी॥
कर याद सांवल साह की, नरसी ने वां हुंडी लिखी।
साधुओं ने हुंडी लेके वां से द्वारिका की राह ली॥
कहते चले लेने रुपै, अब वां तो बेतकरार हैं॥२२॥