लोगों से जब – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १७

लोगों से जब – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १७


लोगों से जब इस बात का, साधुओं ने वां चर्चा किया।
और हर किसी के उस घड़ी, घर पूछा साहूकार का॥
उस छोटी नगरी में बड़ा, नरसी का यह व्योपार था।
श्रीकृष्ण जी की चाह में बैठे थे सब अपना गवां॥
मुफ़्लिस से कब वह काम हों, करते जो अब ज़रदार हैं॥१७॥


राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.

लोगों से जब – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १७