सब तज दिया हरि ध्यान में, यह पीत का ठहरा जतन।
करते भजन श्रीकृष्ण का, हर हाल में रहते मगन॥
नरसी की परसी हो गई, देकर मदनमोहन को मन।
चाहत में सांवल साह की, अपना भुलाया तन बदन॥
सब भगत बातें साथ लीं, जो इष्ट में दरकार हैं॥१३॥
राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.