श्रीकृष्ण व नरसी मेहता

जूं जूं बढ़ा – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १२

जूं जूं बढ़ा – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १२


जूं जूं बढ़ा हिरदै में मत, मधु प्रेम का प्याला पिया।
पैसा टका जो पास था, सब साधु सन्तों को दिया॥
सब कुछ तजा हरि ध्यान में, और नाम हरि का ले लिया।
नित दास मतवाले बने, हरि का भजन हरदम किया॥
परघट किये सब देह पर जो नेह के आसार हैं॥१२॥


राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.

जूं जूं बढ़ा – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १२

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