इस भेद का – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ११

इस भेद का – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ११


इस भेद का ऐ दोस्तों, इस बात में देखो पता।
थे नरसी महता एक जो, सर्राफ़ी करते थे सदा॥
महफू़ज थे खु़श हाल थे, दूकान में ज़र था भरा।
श्री कृष्ण जी के ध्यान में, रहता था उनका मन लगा॥
सुन लो यह उनकी प्रीत और परतीत के अबकार हैं॥११॥


राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.

इस भेद का – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ११