दुनियां के शहरों में – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १
दुनियां के शहरों में – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १
दुनियां के शहरों में मियां, जिस जिस जगह बाज़ार हैं।
किस किस तरह के हैं हुनर, किस किस तरह के कार हैं॥
कितने इसी बाज़ार में, ज़र के ही पेशेवार हैं।
बैठें हैं कर कर कोठियां, ज़र के लगे अम्बार हैं॥
सब लोग कहते हैं उन्हें, यह सेठ साहूकार हैं॥१॥
राम कृष्ण हरी आपणास या अभंगाचा अर्थ माहित असेल तर खालील कंमेंट बॉक्स मध्ये कळवा.
दुनियां के शहरों में – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १