संत नरसी मेहता साहित्य संत नरसी मेहता माहिती श्रीकृष्ण व नरसी मेहता संत नरसी मेहता कविता दुनियां के शहरों में हैं फ़र्श कोठी कुछ मोल थोड़ी सी पूंजी है यह जो हैं रूप दर्शन बीजक लगाते हैं रहते हैं खु़श करते हैं नित जिस मन हरन इस भेद का जूं जूं बढ़ा सब तज दिया दिन रात की कहते हैं यू वह साधु जो लोगों से जब कितने जो वह साधु क्या नरसी ने जाकर लिखाओ यह बात सुनकर लोगों ने जाना नरसी ने वह बर्फ़ी, जलेबी बे आस होकर वह साधु देख यह कहके हुंडी अब जो मिलोगे वह साधु अपने जब साधु मिलने मन में जो नरसी की सांवल संत नरसींचे वाङमय नरसी की सांवल – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३३ मन में जो – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३२ जब साधु मिलने – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३१ वह साधु अपने – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३० अब जो मिलोगे – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २९ यह कहके हुंडी – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – २८ « मागे पुढे » शेतमालाची मोफत जाहिरात करण्या साठी कृषी क्रांती ला अवश्य भेट द्या