विस्तारूनि रूप सांगितलें तत्त्वीं ।
कैसेनी परतत्त्वीं वोळखी जाली ॥ १ ॥
सोहंभावें ठसा कोणते पैठा ।
उभाउभीं वाटा कैसा जातु ॥ २ ॥
या नाही सज्ञान हा अवघा ज्ञान ।
आपरूप धन सर्वांरूपीं ॥ ३ ॥
मुक्ताई मुक्तता सर्वपणें पुरता ।
मुक्ता मुक्ति अपैता निजबोधें ॥ ४ ॥
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Bramha he Sarvvyapi ahe soham bhav mhanje te sarvavyapi chaitanya apan ahot hi olakh dili hi atmabuddhi dewun muktai muline sarvana nijbodh dila
ram krushna hari