आदि मध्य अंतु न कळोनि प्रांतु – संत मुक्ताबाई अभंग

आदि मध्य अंतु न कळोनि प्रांतु – संत मुक्ताबाई अभंग


आदि मध्य अंतु न कळोनि प्रांतु ।
असे जो सततु निजतत्त्वें ॥ १ ॥
कैसेनि तत्त्वतां तत्त्व पैं अनंता ।
एकतत्त्वें समता आपेंआप ॥ २ ॥
आप जंव नाहीं पर पाहासी काई ।
विश्वपणें होई निजतत्त्वीं ॥ ३ ॥
माजि मजवटा चित्त नेत तटा ।
परब्रह्म वैकुंठा चित्तानुसारें ॥ ४ ॥
मुक्ताई सांगती मुक्तनामपंक्ति ।
हरिनामें शांति प्रपंचाचीं ॥ ५ ॥


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