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भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan) – बालकाण्ड

बालकाण्ड अध्याय १
बालकाण्ड अध्याय २
बालकाण्ड अध्याय ३
बालकाण्ड अध्याय ४
बालकाण्ड अध्याय ५
बालकाण्ड अध्याय ६
बालकाण्ड अध्याय ७
बालकाण्ड अध्याय ८
बालकाण्ड अध्याय ९
बालकाण्ड अध्याय १०
बालकाण्ड अध्याय ११
बालकाण्ड अध्याय १२
बालकाण्ड अध्याय १३
बालकाण्ड अध्याय १४
बालकाण्ड अध्याय १५
बालकाण्ड अध्याय १६
बालकाण्ड अध्याय १७
बालकाण्ड अध्याय १८
बालकाण्ड अध्याय १९
बालकाण्ड अध्याय २०
बालकाण्ड अध्याय २१
बालकाण्ड अध्याय २२
बालकाण्ड अध्याय २३
बालकाण्ड अध्याय २४
बालकाण्ड अध्याय २५
बालकाण्ड अध्याय २६
बालकाण्ड अध्याय २७


भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan) – अयोध्याकाण्ड

अयोध्याकाण्ड अध्याय १
अयोध्याकाण्ड अध्याय २
अयोध्याकाण्ड अध्याय ३
अयोध्याकाण्ड अध्याय ४
अयोध्याकाण्ड अध्याय ५
अयोध्याकाण्ड अध्याय ६
अयोध्याकाण्ड अध्याय ७
अयोध्याकाण्ड अध्याय ८
अयोध्याकाण्ड अध्याय ९
अयोध्याकाण्ड अध्याय १०
अयोध्याकाण्ड अध्याय ११
अयोध्याकाण्ड अध्याय १२
अयोध्याकाण्ड अध्याय १३
अयोध्याकाण्ड अध्याय १४
अयोध्याकाण्ड अध्याय १५
अयोध्याकाण्ड अध्याय १६
अयोध्याकाण्ड अध्याय १७
अयोध्याकाण्ड अध्याय १८


 

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भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan) – अरण्यकाण्ड

अरण्यकाण्ड अध्याय १
अरण्यकाण्ड अध्याय २
अरण्यकाण्ड अध्याय ३
अरण्यकाण्ड अध्याय ४
अरण्यकाण्ड अध्याय ५
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अरण्यकाण्ड अध्याय ७
अरण्यकाण्ड अध्याय ८
अरण्यकाण्ड अध्याय ९
अरण्यकाण्ड अध्याय १०
अरण्यकाण्ड अध्याय ११
अरण्यकाण्ड अध्याय १२
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अरण्यकाण्ड अध्याय १४
अरण्यकाण्ड अध्याय १५
अरण्यकाण्ड अध्याय १६
अरण्यकाण्ड अध्याय १७
अरण्यकाण्ड अध्याय १८
अरण्यकाण्ड अध्याय १९
अरण्यकाण्ड अध्याय २०
अरण्यकाण्ड अध्याय २१
अरण्यकाण्ड अध्याय २२
अरण्यकाण्ड अध्याय २३


भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan) – किष्किंधाकाण्ड

किष्किंधाकाण्ड अध्याय १
किष्किंधाकाण्ड अध्याय २
किष्किंधाकाण्ड अध्याय ३
किष्किंधाकाण्ड अध्याय ४
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किष्किंधाकाण्ड अध्याय ८
किष्किंधाकाण्ड अध्याय ९
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किष्किंधाकाण्ड अध्याय ११
किष्किंधाकाण्ड अध्याय १२
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किष्किंधाकाण्ड अध्याय १४
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किष्किंधाकाण्ड अध्याय १७
किष्किंधाकाण्ड अध्याय १८


भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan) – सुन्दरकाण्ड

सुन्दरकाण्ड अध्याय १
सुन्दरकाण्ड अध्याय २
सुन्दरकाण्ड अध्याय ३
सुन्दरकाण्ड अध्याय ४
सुन्दरकाण्ड अध्याय ५
सुन्दरकाण्ड अध्याय ६
सुन्दरकाण्ड अध्याय ७
सुन्दरकाण्ड अध्याय ८
सुन्दरकाण्ड अध्याय ९
सुन्दरकाण्ड अध्याय १०
सुन्दरकाण्ड अध्याय ११
सुन्दरकाण्ड अध्याय १२
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सुन्दरकाण्ड अध्याय १८
सुन्दरकाण्ड अध्याय १९
सुन्दरकाण्ड अध्याय २०
सुन्दरकाण्ड अध्याय २१
सुन्दरकाण्ड अध्याय २२
सुन्दरकाण्ड अध्याय २३
सुन्दरकाण्ड अध्याय २४
सुन्दरकाण्ड अध्याय २५
सुन्दरकाण्ड अध्याय २६
सुन्दरकाण्ड अध्याय २७
सुन्दरकाण्ड अध्याय २८
सुन्दरकाण्ड अध्याय २९
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सुन्दरकाण्ड अध्याय ३३
सुन्दरकाण्ड अध्याय ३४
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सुन्दरकाण्ड अध्याय ३६
सुन्दरकाण्ड अध्याय ३७
सुन्दरकाण्ड अध्याय ३८
सुन्दरकाण्ड अध्याय ३९
सुन्दरकाण्ड अध्याय ४०
सुन्दरकाण्ड अध्याय ४१
सुन्दरकाण्ड अध्याय ४२


 

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भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan) – युद्धकाण्ड

युद्धकाण्ड अध्याय १
युद्धकाण्ड अध्याय २
युद्धकाण्ड अध्याय ३
युद्धकाण्ड अध्याय ४
युद्धकाण्ड अध्याय ५
युद्धकाण्ड अध्याय ६
युद्धकाण्ड अध्याय ७
युद्धकाण्ड अध्याय ८
युद्धकाण्ड अध्याय ९
युद्धकाण्ड अध्याय १०
युद्धकाण्ड अध्याय ११
युद्धकाण्डअध्याय १२
युद्धकाण्ड अध्याय १३
युद्धकाण्ड अध्याय १४
युद्धकाण्ड अध्याय १५
युद्धकाण्ड अध्याय १६
युद्धकाण्ड अध्याय १७
युद्धकाण्ड अध्याय १८
युद्धकाण्ड अध्याय १९
युद्धकाण्ड अध्याय २०
युद्धकाण्ड अध्याय २१
युद्धकाण्ड अध्याय २२
युद्धकाण्ड अध्याय २३
युद्धकाण्ड अध्याय २४
युद्धकाण्ड अध्याय २५
युद्धकाण्ड अध्याय २६
युद्धकाण्ड अध्याय २७
युद्धकाण्ड अध्याय २८
युद्धकाण्ड अध्याय २९
युद्धकाण्ड अध्याय ३०
युद्धकाण्ड अध्याय ३१
युद्धकाण्ड अध्याय ३२
युद्धकाण्ड अध्याय ३३
युद्धकाण्ड अध्याय ३४
युद्धकाण्ड अध्याय ३५
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युद्धकाण्ड अध्याय ४७
युद्धकाण्ड अध्याय ४८
युद्धकाण्ड अध्याय ४९
युद्धकाण्ड अध्याय ५०
युद्धकाण्ड अध्याय ५१
युद्धकाण्ड अध्याय ५२
युद्धकाण्ड अध्याय ५३
युद्धकाण्ड अध्याय ५४
युद्धकाण्ड अध्याय ५५
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युद्धकाण्ड अध्याय ५८
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युद्धकाण्ड अध्याय ७१
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युद्धकाण्ड अध्याय ७५
युद्धकाण्ड अध्याय ७६
युद्धकाण्ड अध्याय ७७
युद्धकाण्ड अध्याय ७८
युद्धकाण्डअध्याय ७९
युद्धकाण्ड अध्याय ८०
युद्धकाण्ड अध्याय ८१
युद्धकाण्ड अध्याय ८२
युद्धकाण्ड अध्याय ८३
युद्धकाण्ड अध्याय ८४
युद्धकाण्ड अध्याय ८५
युद्धकाण्ड अध्याय ८६
युद्धकाण्ड अध्याय ८७
युद्धकाण्ड अध्याय ८८
युद्धकाण्ड अध्याय ८९
युद्धकाण्ड अध्याय ९०
युद्धकाण्ड अध्याय ९१
युद्धकाण्ड अध्याय ९२


भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan) – उत्तरकाण्ड

उत्तरकाण्ड अध्याय १
उत्तरकाण्ड अध्याय २
उत्तरकाण्ड अध्याय ३
उत्तरकाण्ड अध्याय ४
उत्तरकाण्ड अध्याय ५
उत्तरकाण्ड अध्याय ६
उत्तरकाण्ड अध्याय ७
उत्तरकाण्डअध्याय ८
उत्तरकाण्ड अध्याय ९
उत्तरकाण्ड अध्याय १०
उत्तरकाण्ड अध्याय ११
उत्तरकाण्ड अध्याय १२
उत्तरकाण्ड अध्याय १३
उत्तरकाण्ड अध्याय १४
उत्तरकाण्ड अध्याय १५
उत्तरकाण्ड अध्याय १६
उत्तरकाण्ड अध्याय १७
उत्तरकाण्ड अध्याय १८
उत्तरकाण्ड अध्याय १९
उत्तरकाण्ड अध्याय २०
उत्तरकाण्ड अध्याय २१
उत्तरकाण्ड अध्याय २२
उत्तरकाण्ड अध्याय २३
उत्तरकाण्ड अध्याय २४
उत्तरकाण्ड अध्याय २५
उत्तरकाण्ड अध्याय २६
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उत्तरकाण्ड अध्याय २९
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उत्तरकाण्ड अध्याय ३२
उत्तरकाण्ड अध्याय ३३
उत्तरकाण्ड अध्याय ३४
उत्तरकाण्ड अध्याय ३५
उत्तरकाण्ड अध्याय ३६
उत्तरकाण्ड अध्याय ३७
उत्तरकाण्ड अध्याय ३८
उत्तरकाण्ड अध्याय ३९
उत्तरकाण्ड अध्याय ४०
उत्तरकाण्ड अध्याय ४१
उत्तरकाण्ड अध्याय ४२
उत्तरकाण्ड अध्याय ४३
उत्तरकाण्ड अध्याय ४४
उत्तरकाण्ड अध्याय ४५
उत्तरकाण्ड अध्याय ४६
उत्तरकाण्ड अध्याय ४७
उत्तरकाण्ड अध्याय ४८
उत्तरकाण्ड अध्याय ४९
उत्तरकाण्ड अध्याय ५०
उत्तरकाण्ड अध्याय ५१
उत्तरकाण्ड अध्याय ५२
उत्तरकाण्ड अध्याय ५३
उत्तरकाण्ड अध्याय ५४
उत्तरकाण्ड अध्याय ५५
उत्तरकाण्ड अध्याय ५६
उत्तरकाण्ड अध्याय ५७
उत्तरकाण्ड अध्याय ५८
उत्तरकाण्ड अध्याय ५९
उत्तरकाण्ड अध्याय ६०
उत्तरकाण्ड अध्याय ६१
उत्तरकाण्ड अध्याय ६२
उत्तरकाण्ड अध्याय ६३
उत्तरकाण्ड अध्याय ६४
उत्तरकाण्ड अध्याय ६५
उत्तरकाण्ड अध्याय ६६
उत्तरकाण्ड अध्याय ६७
उत्तरकाण्ड अध्याय ६८
उत्तरकाण्ड अध्याय ६९
उत्तरकाण्ड अध्याय ७०
उत्तरकाण्ड अध्याय ७१
उत्तरकाण्ड अध्याय ७२
उत्तरकाण्ड अध्याय ७३
उत्तरकाण्ड अध्याय ७४
उत्तरकाण्ड अध्याय ७५
उत्तरकाण्ड अध्याय ७६
उत्तरकाण्ड अध्याय ७७


                                                               

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नाथांच्या जीवनांतील अखेरच्या कालखंडातील शेवटचा आणि महत्त्वपूर्ण ग्रंथ म्हणजे भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan) होय. उदात्त मानवीय मूल्यांची जननी असलेल्या, भारतीय संस्कृति व सभ्यतेच्या क्षेत्रात सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ म्हणून मान्यता पावलेल्या, सर्वाधिक लोकप्रियता लाभलेल्या आदिकवी वाल्मीकि रचित ’रामायण’ या ग्रंथावर प्राकृत भाषेत टीका असलेला हा ग्रंथ ’भावार्थ रामायण (bhavarth ramayan)

नाथांनी आपल्या निर्मळ अंतःकरणाने, विशुद्ध आचरणाने अखंड हरिचिंतनाने व उत्कट भावभक्तीने प्रभू श्रीरामाच्या हृदयामध्ये भरतासम स्थान निर्माण केले. प्रभूंनी प्रसन्न होऊन रामायणाचा भावार्थ शब्दबद्ध करण्याचा आदेश दिला, सद्‌गुरुकृपांकित नाथांनी विवेकपूर्ण भक्तीभाव व अनन्य प्रेम निष्ठेने ओथंबलेल्या आपल्या विचार भावनांना शब्दरूप दिले, आणि नित्यनूतन, चिरंतन, भावभक्ती समृद्धीपूर्ण असे ’भावार्थ रामायण’ (bhavarth ramayan) साकार झाले.

भावार्थ रामायणाने (bhavarth ramayan) जिज्ञासू व आर्त भक्तांच्या मनबुद्धीची तृप्ती झाली. पढित्यांचे गर्वाहरण झाले. ज्ञान-विज्ञान, विवेक-वैराग्य, गुरूसेवा, गुरुकृपा या सार्‍यांना प्रभू श्रीरामचंद्राच्या भक्तीरसात रंगून जाऊन आपला जन्म सार्थकी लावू इच्छिणार्‍या धर्मप्रवण अबालवृद्धांसाठी आणि साक्षेपी, पुरुषार्थी अशा धीर-वीर वाचकांसाठी श्रीसंत एकनाथांनी कोदंडधारी रामायणाचे चरित्र भावार्थ रामायणात गायले.

’भावार्थ रामायण’ (bhavarth ramayan) एक प्रासादिक महाकाव्य आहे. महाराष्ट्र शारदेच्या कंठातील कौस्तुभमणी आहे. या ग्रंथात भक्ती-भावगंगा दुथडी भरून वाहते आहे. ग्रंथातील ओवीबद्ध उत्कट प्रसंगातून नाथांच्या दिव्य प्रतिभेची, प्रभुदत्त प्रज्ञेची व रामभक्तीची साक्ष ठायी-ठायी लक्षित होते. ग्रंथात गंगेचे ज्ञानपावित्र्य आहे. यमुनेचे भावमाधुर्य आणि सरस्वतीचे मांगल्यनिधान प्रकर्षाने जाणवते आहे. ही शुद्ध, सात्त्विक, अनिर्वचनीय कलाकृती रामभक्तीवर अधिष्टीत असल्याने या ग्रंथातील विचार आणि भाव त्रिकालबाधित व विश्वव्यापक झाले आहेत.

सर्वसामान्यांना भक्तीरसात निमग्न करण्याचे सामर्थ्य असलेल्या या प्रासादिक ग्रंथात सात काण्ड, २९६ बालकाण्ड अध्याय व सुमारे चाळीस हजार ओव्या आहेत. ग्रंथाचा युद्धकांडातील ४४ व्या बालकाण्ड अध्यायापर्यंतचा भाग स्वतः श्री एकनाथ महाराजांनी लिहिला असून नाथांच्या निर्वाणानंतर त्या पुढील अखेरपर्यंतचा कथाभाव गावबाने लिहिला आहे. ’गावबा’ हा नाथांचा अंतरंग शिष्य होता. तो बालपणापासूनच नाथांच्या सहवासात होता.

त्याने आपले संपूर्ण जीवन हरिभक्तीमध्ये व नाथसेवेत समर्पित केले होते. नाथांनी गावबाला ’भावार्थ रामायण’ हा ग्रंथ पूर्ण करण्यासाठी त्याच्या मस्तकी वरदहस्त ठेऊन, कृपाशीर्वाद देऊन, आदेश दिला होता. गुरुआज्ञा शिरसावंद्य मानून, प्रभूचरणी कृपेचे वरदान मागून, गावबाने युद्धकाण्डातील ४५ व्या बालकाण्ड अध्यायापासून उत्तर काण्डापर्यंतचे संपूर्ण भावार्थ रामायण लिहिले.

गावबाकृत भावार्थ रामायणाचे (bhavarth ramayan) लेखन गुरुसेवा व गुरुकृपेच्या बळावर इतके सुंदर व भावपूर्ण झाले आहे की ही नाथांची रचना नाही असे कोणीही म्हणू शकणार नाही. बालपणी अनाथ असलेल्या गावबालकास संत एकनाथांनी सनाथ केले. नाथांचा सहवास, नित्यश्रवण, मनन, चिंतन, भक्ती आणि गुरुसेवेचा ध्यास यामुळे गावबा संतत्व पावला. प्रथम अनाथ नंतर सनाथ नंतर ग्रंथरचना करण्यास समर्थ झाला. मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभू श्रीरामाच्या अमोघ चरित्रलेखनाचे महत्‌कार्य पूर्णत्वास नेऊ शकला.

भावार्थ रामायणाची (bhavarth ramayan) भाषा अत्यंत सुलभ व प्रसादपूर्ण आहे. यात शब्दरत्‍नांच्या भांडारातील सर्वोत्कृष्ठ सार्थक शब्दांची गुंफण, ओवी ओवीतून भाव-विचारांच्या विश्वाला प्रभुचरणी समर्पित करते. नाथांची व गावबाची समर्थ कवित्वशक्ती पदोपदी जाणवते. मानवी भावनांचे, विचारांचे, विकारांचे, कल्पनांचे भावरम्य वर्णन त्यांच्या असामान्य प्रतिभेची साक्ष देते.

विविध प्रसंगातून साकार होणारे हर्ष, शोक, आनंद, आश्चर्य, करुणा, वीर, व्यक्तिस्वभावोचित भावरस ही यथास्थानी उत्तमरीतीने प्रकट झाले आहेत. श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, दशरथ, कौसल्या, कैकयी, सुमित्रा, मंथरा, हनुमान, सुग्रीव, रावण, बिभीषण आदि व्यक्तिरेखा नाथांनी आपल्या दैवी प्रतिभेने सजीव केल्या आहेत.

प्रस्तुत ग्रंथातील कौसल्येचे डोहाळे, रामजन्म, मंथरा-कैकयी संवाद, राम-भरत भेट, पंचवटी प्रसंग, सीता-हनुमान भेट इत्यादि अनेक प्रसंग खूपच मनोज्ञ झाले आहेत. भक्तांचे अधिदैवत राजा रामचंद्र व्यक्तिमत्व बहुआयामी आहे. आदर्श पुत्र, आदर्श राजा, आदर्श बंधू, आदर्श शिष्य, आदर्श मित्र, आदर्श योद्धा, सर्व सर्व दृष्टीने राम आदर्श पुरुषोत्तम आहे.

त्याच्या प्रत्येक उक्ती-कृतीमध्ये आदर्श दडलेला आहे. श्रीराम आणि रामायण आम्हा भारतीयांचा आदर्श प्राण आहे. आदर्श जीवनाचा प्रेरणास्त्रोत आहे. श्रीराम व रामायणावर हजारो वर्षांत असंख्य कलाकृती निर्माण झाल्या आहेत व त्यामध्ये श्रीसंत एकनाथकृत ’भावार्थ रामायण’चे स्थान अनन्यसाधारण आहे.


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ref:transliteral 

भावार्थ रामायण – bhavarth ramayan

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