दुर्जनासि करी साहे – संत तुकाराम अभंग – 41
माया तेचि ब्रम्ह ब्रम्ह तेंचि – संत तुकाराम अभंग – 40
परिमळ म्हणूनी चोळूं – संत तुकाराम अभंग – 39
चित्त समाधान – संत तुकाराम अभंग – 38
शुद्धबीजा पोटीं – संत तुकाराम अभंग – 37
पराविया नारी माउलीसमान – संत तुकाराम अभंग – 36
आम्ही सदैव सुडके – संत तुकाराम अभंग – 35
जया नाहीं नेम एकादशीव्रत – संत तुकाराम अभंग – 34
सदा तळमळ – संत तुकाराम अभंग – 33
मज दास करी त्यांचा – संत तुकाराम अभंग – 32
तेलनीशीं रुसला वेडा – संत तुकाराम अभंग – 31
महारासी शिवे – संत तुकाराम अभंग – 30
आहे तें सकळ कृष्णासी – संत तुकाराम अभंग – 29
सकळ चिंतामणी शरीर – संत तुकाराम अभंग – 28
माझिया मीपणा – संत तुकाराम अभंग – 27
आलिंगनें घडे – संत तुकाराम अभंग – 26
हिरा ठेवितां ऐरणीं – संत तुकाराम अभंग – 25
जन विजन जालें आम्हां – संत तुकाराम अभंग – 24
निंदी कोणी मारी – संत तुकाराम अभंग – 23
आम्ही जरी आस – संत तुकाराम अभंग – 22
विष्णुमय जग वैष्णवांचा – संत तुकाराम अभंग – 21
दुजे खंडे तरी – संत तुकाराम अभंग – 20
ब्रम्हादिक जया लाभासि ठेंगणे – संत तुकाराम अभंग – 19
गरुडाचें वारिके कासे – संत तुकाराम अभंग – 18