थोर ते गळाली पाहिजे – संत तुकाराम अभंग – 1124
काय तीं करावीं मोलाचीं – संत तुकाराम अभंग – 1123
माझी सर्व चिंता आहे – संत तुकाराम अभंग – 1122
चिरगुटें घालूनि वाढविलें – संत तुकाराम अभंग – 1121
साखरेची गोणी बैलाचिया – संत तुकाराम अभंग – 1120
तरुवर बीजा पोटीं – संत तुकाराम अभंग – 1119
दुर्बुद्धहि ते मना – संत तुकाराम अभंग – 1118
राउळासी जातां त्रास – संत तुकाराम अभंग – 1117
साधूच्या दर्शना लाजसी – संत तुकाराम अभंग – 1116
गायत्री विकोनी पोट – संत तुकाराम अभंग – 1115
ब्रम्हज्ञान जरी कळें – संत तुकाराम अभंग – 1114
उरा लावी उर आळंगितां – संत तुकाराम अभंग – 1113
देवाचिया वस्त्रा स्वप्नीं – संत तुकाराम अभंग – 1112
जैसें तैसें बाळ मातेसी – संत तुकाराम अभंग – 1111
संत मारगीं चालती – संत तुकाराम अभंग – 1110
नेत्र झाकोनियां काय – संत तुकाराम अभंग – 1109
केली प्रज्ञा मनाशीं – संत तुकाराम अभंग – 1108
वर्त्ततां वासर – संत तुकाराम अभंग – 1107
देवावरी भार – संत तुकाराम अभंग – 1106
सर्वा भूतीं द्यावें अन्न – संत तुकाराम अभंग – 1105
तुज न भें भी कळीकाळा – संत तुकाराम अभंग – 1104
जेथें आठवती स्वामींचे – संत तुकाराम अभंग – 1103
वाघें उपदेशिला कोल्हा – संत तुकाराम अभंग – 1102
देव भक्तालागीं करूं – संत तुकाराम अभंग – 1101