सत्य ज्योतिलिंग बारा – संत नरहरी सोनार अभंग
ऊठ बा होय जागा पहा वासुदेवाला – संत नरहरी सोनार अभंग
भस्म उटी रुंडमाळा – संत नरहरी सोनार अभंग
नाम फुकाचें फुकाचें – संत नरहरी सोनार अभंग
सूर्य असे गगनीं – संत नरहरी सोनार अभंग
सकळ धर्माचें कारण – संत नरहरी सोनार अभंग
शरीराची होय माती – संत नरहरी सोनार अभंग
भोळा हा शंकर पुढें नंदीश्वर – संत नरहरी सोनार अभंग
प्रेम शांति दया शरण निर्धारेसी – संत नरहरी सोनार अभंग
प्रारब्धाची गति – संत नरहरी सोनार अभंग
पंढरी नगरी दैवत श्रीहरी – संत नरहरी सोनार अभंग
पंढरपुरचा जाणा विठ्ठल धणी – संत नरहरी सोनार अभंग
पंढरी नगरीं नांदतो श्रीहरी – संत नरहरी सोनार अभंग
पहा दिसतो पदार्थ – संत नरहरी सोनार अभंग
पापांचे पर्वत मोठे झाले – संत नरहरी सोनार अभंग
कांहीं उपाय चालेना -संत नरहरी सोनार अभंग
नाम हे नगरी वैकुंठ पंढरी – संत नरहरी सोनार अभंग
नाशिवंत देह मनाचा निश्चय – संत नरहरी सोनार अभंग
सिक्का जयाचा आहे थोर – संत नरहरी सोनार अभंग
धन्य पुंडलिक भक्त निवडला – संत नरहरी सोनार अभंग
देह जन्मला व्यर्थ – संत नरहरी सोनार अभंग
देवा तुझा मी सोनार – संत नरहरी सोनार अभंग
जग हें अवघें सारें ब्रह्मरूप – संत नरहरी सोनार अभंग