आदि मध्य ऊर्ध्व मुक्त भक्त हरि – संत मुक्ताबाई अभंग
मुक्तामुक्त दोन्ही आईक तो कर्णीं – संत मुक्ताबाई अभंग
मुक्त पैं अखंड त्यासि पैं फावलें – संत मुक्ताबाई अभंग
भजनभावो देहीं नित्यनाम पेठा – संत मुक्ताबाई अभंग
नाम मंत्रें हरि निज दासां पावे – संत मुक्ताबाई अभंग
आधी तूं मुक्तचि होतासिरे प्राणीया – संत मुक्ताबाई अभंग
अलिप्त संसारी हरिनामपाठें – संत मुक्ताबाई अभंग
प्रकृति निर्गुण प्रकृति सगुण – संत मुक्ताबाई अभंग
शून्यापरतें पाही तंव शून्य तेंही नाहीं – संत मुक्ताबाई अभंग
मुक्तजीव सदा होति पै नामपाठें – संत मुक्ताबाई अभंग
संत मुक्ताबाई माहिती
संत मुक्ताबाई अभंग
संत मुक्ताबाई आरती