अवघी साधन हातवटी – संत मुक्ताबाई अभंग
अहो क्रोधे यावें कोठे – संत मुक्ताबाई अभंग
गिरीगव्हारे कशासाठीं – संत मुक्ताबाई अभंग
सांडी कल्पना उपाधी – संत मुक्ताबाई अभंग
सुखसागर आपण व्हावें – संत मुक्ताबाई अभंग
ब्रह्म जैसें तैशा परी – संत मुक्ताबाई अभंग
एक आपण साधू झाले – संत मुक्ताबाई अभंग
संत तेचि जाणा जगीं – संत मुक्ताबाई अभंग
वरी भगवा झाला नामे – संत मुक्ताबाई अभंग
सुखसागरी वास झाला – संत मुक्ताबाई अभंग
योगी पावन मनाचा – संत मुक्ताबाई अभंग
संत जेणें व्हावें – संत मुक्ताबाई अभंग
चितासी व्यापक व्यापूनि दुरी – संत मुक्ताबाई अभंग
कडाडली वीज निरंजनी जेव्हा – संत मुक्ताबाई अभंग
वाहवा साहेबजी – संत मुक्ताबाई अभंग
मुक्तपणे अखंड त्यासी पै फावले – संत मुक्ताबाई अभंग
शुद्ध ज्याचा भाव झाला – संत मुक्ताबाई अभंग
अखंड जयाला देवाचा शेजार – संत मुक्ताबाई अभंग
मुंगी उडाली आकाशीं – संत मुक्ताबाई अभंग
देउळाच्या कळशीं नांदे एक ऋषी – संत मुक्ताबाई अभंग
शांति क्षमा वसे देहीं देव पैसे – संत मुक्ताबाई अभंग
प्रारब्ध संचित आचरण गोमटें – संत मुक्ताबाई अभंग
मुक्तलग चित्तें मुक्त पै सर्वदां – संत मुक्ताबाई अभंग
आदि मध्य अंतु न कळोनि प्रांतु – संत मुक्ताबाई अभंग