तुझीं वर्में आम्हां ठावीं – संत कान्होबा अभंग – १३
न गमे न गमे न गमे – संत कान्होबा अभंग – ५०
जेणें माझी लपविली – संत कान्होबा अभंग – ४९
ओले मृत्तिकेचें मंदिर – संत कान्होबा अभंग – ४८
पाहा हो कलिचें – संत कान्होबा अभंग – ४७
आम्ही जालों बळिवंत – संत कान्होबा अभंग – ४६
म्हणसी दावीन अवस्था – संत कान्होबा अभंग – ४५
आकारावंत मूर्ति – संत कान्होबा अभंग – ४४
मन उतावीळ – संत कान्होबा अभंग – ४३
तुम्हां आम्हांसी दरूषण – संत कान्होबा अभंग – ४२
उदार कृपाळ सांगसी जना – संत कान्होबा अभंग – ४१
अनंतजन्में जरी केल्या – संत कान्होबा अभंग – ४०
चित्तीं बैसलें चिंतन – संत कान्होबा अभंग – ३९
विठ्ठलारे तुझें वर्णितां – संत कान्होबा अभंग – ३८
सांपडलें जुनें – संत कान्होबा अभंग – ३७
आतां चुकलें देशावर – संत कान्होबा अभंग – ३६
माझ्या भावें केली जोडी – संत कान्होबा अभंग – ३५
पत्र उचटिलें प्रयत्नें – संत कान्होबा अभंग – ३४
हळूहळू जाड – संत कान्होबा अभंग – ३३
तोचि प्रसंग आला – संत कान्होबा अभंग – ३२
तिहीं ताळीं हेचि हाक – संत कान्होबा अभंग – ३१
आतां हें न सुटे न – संत कान्होबा अभंग – ३०
आतां न राहे क्षण – संत कान्होबा अभंग – २७
बहु बोलणें नये – संत कान्होबा अभंग – २९