भजन घाली भोगावरी – संत तुकाराम अभंग – 169
काय कळे बाळा – संत तुकाराम अभंग – 168
एक तटस्थ मानसीं – संत तुकाराम अभंग – 167
अवघें ब्रम्हरूप रिता नाहीं – संत तुकाराम अभंग – 166
अरे हें देह व्यर्थ जावें – संत तुकाराम अभंग – 165
धिग जीणें तो बाइले आधीन – संत तुकाराम अभंग – 164
शरण शरण जी हनुमंता – संत तुकाराम अभंग – 163
हनुमंत महाबळी – संत तुकाराम अभंग – 162
काम बांदवडी – संत तुकाराम अभंग – 161
केली सीताशुद्धी – संत तुकाराम अभंग – 160
आणिकांच्या घातें – संत तुकाराम अभंग – 159
मागें नेणपणें घडलें तें क्षमा – संत तुकाराम अभंग – 158
करणें तें देवा – संत तुकाराम अभंग – 157
संताचा अतिक्रम – संत तुकाराम अभंग – 156
हरिविण नाही वेदांदिका मती – संत सोपानदेव अभंग
आपरुप हरी आपणची देव – संत सोपानदेव अभंग
निष्काम निश्चळ निश्चित स्वरुप – संत सोपानदेव अभंग
ज्ञानदेवी आन नाही ते भिन्न – संत सोपानदेव अभंग
वैकुठ आगळे न करू वेगळे – संत सोपानदेव अभंग
शांति दया क्षमा तेथील उपाया – संत सोपानदेव अभंग
नाद ब्रह्म मुसे नादरुप वसे – संत सोपानदेव अभंग
नाद रसी लीन ब्रह्म सामावले – संत सोपानदेव अभंग
ना रुप ठसा निरालंब जाला – संत सोपानदेव अभंग
पाहाणे परिसणे नामरूपी गेले – संत सोपानदेव अभंग