काळे ना सांवळे – संत सोपानदेव अभंग
पंढरीचा आनंद – संत सोपानदेव अभंग
चला रे गोपाल हो जाऊ पंढरीशी – संत सोपानदेव अभंग
हरि प्रेमभावे – संत सोपानदेव अभंग
हरिध्यानचित्ती – संत सोपानदेव अभंग
संतचरण धुळी – संत सोपानदेव अभंग
झाड कल्पतरू – संत तुकाराम अभंग – 300
वाजतील तुरें – संत तुकाराम अभंग – 298
पावे ऐसा नाश – संत तुकाराम अभंग – 297
न संडी अवगुण – संत तुकाराम अभंग – 296
गौरव गौरवापुरतें – संत तुकाराम अभंग – 295
भाव देवाचें उचित – संत तुकाराम अभंग – 294
मजसवें नको चेष्टा – संत तुकाराम अभंग – 293
मोहीऱ्याच्या संगें – संत तुकाराम अभंग – 292
परमेष्ठिपदा – संत तुकाराम अभंग – 291
गोडीपणें जैसा गुळ – संत तुकाराम अभंग – 290
शांतीपरतें नाहीं सुख – संत तुकाराम अभंग – 289
अवघे देव साध – संत तुकाराम अभंग – 288
थोडें परी निरें – संत तुकाराम अभंग – 287
रवि रश्मीकळा – संत तुकाराम अभंग – 286
आम्हासाठीं अवतार – संत तुकाराम अभंग – 285
साधनें तरी हींच दोन्ही – संत तुकाराम अभंग – 284
इच्छावे ते जवळी आलें – संत तुकाराम अभंग – 283
भाव धरी तया तारील पाषाण – संत तुकाराम अभंग – 282