श्रीमद्भगवद्गीता : आठवा अध्याय (अक्षरब्रह्मयोग)
श्रीमद्भगवद्गीता : सातवा अध्याय (ज्ञानविज्ञानयोग)
श्रीमद्भगवद्गीता : सहावा अध्याय (आत्मसंयमयोग)
श्रीमद्भगवद्गीता : पाचवा अध्याय (कर्मसंन्यासयोग)
श्रीमद्भगवद्गीता : चौथा अध्याय (ज्ञानकर्मसंन्यासयोग)
श्रीमद्भगवद्गीता : तिसरा अध्याय (कर्मयोग)
वेद गणितां मर्यादला – संत कान्हो पाठक अभंग – ६
पेंधा म्हणे हृषीकेशी – संत कान्हो पाठक अभंग – ५
जेथें जेथें मन – संत कान्हो पाठक अभंग – ४
श्रीमद्भगवद्गीता : दुसरा अध्याय (सांख्ययोग)
जरी तुज देवाची – संत कान्हो पाठक अभंग – ३
कान्हो जन्मूनिया उत्तम – संत कान्हो पाठक अभंग – २
गाये तो गाणुं नाचे – संत कान्हो पाठक अभंग – १
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय पहिला
भगवद्गीता
तारूं लागलें बंदरीं – संत तुकाराम अभंग – 1053
तुझीं वर्में आम्हां ठावीं – संत कान्होबा अभंग – १३
न गमे न गमे न गमे – संत कान्होबा अभंग – ५०
बहुतां जन्मींचें संचित – संत तुकाराम अभंग – 1052
जेणें माझी लपविली – संत कान्होबा अभंग – ४९
ओले मृत्तिकेचें मंदिर – संत कान्होबा अभंग – ४८
पाहा हो कलिचें – संत कान्होबा अभंग – ४७
आम्ही जालों बळिवंत – संत कान्होबा अभंग – ४६
म्हणसी दावीन अवस्था – संत कान्होबा अभंग – ४५