वेदशास्त्राचें सार – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – २१
आलों दृढ धरुनी – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – २०
जन्मोजन्मीं आम्हीं बहु – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – १९
हरी म्हणतां गति- संत तुकाराम अभंग – 1179
उन्मनीं समाधीं नाठवे – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – १८
गोंड साजिरें रूपस – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – १७
जोडोनियां धन उत्तम- संत तुकाराम अभंग – 1178
चतुर्भुज मूर्ति लावण्य – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – १६
देखितांचि रूप – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – १५
लावण्य रुपड़े पहा – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – १४
शंख चक्र गदाधरु – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – १३
नको देऊं देवा- संत तुकाराम अभंग – 1177
जैसा उपनिषदंचा – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – १२
चंद्रभागेतीरीं उभा – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – ११
वेदीं संगितलें श्रुतिं – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य- १०
वर्णावी ते थोरी- संत तुकाराम अभंग – 1176
अद्वय आनंद तो – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – ९
अनादि परब्रह्मा जें – संत भानुदास अभंग श्रीविठ्ठलमाहात्म्य – ८
अवतारादिक जाले – संत भानुदास अभंग अद्वैत – ७
तुज पाहूं जाता नये – संत भानुदास अभंग अद्वैत – ६
माझे मज कळों- संत तुकाराम अभंग – 1175
जोडीचे घोंगडें येव्हढीये – संत भानुदास अभंग अद्वैत – ५
तुजपासाव सर्व परी तूं – संत भानुदास अभंग अद्वैत – ४
वाचा आणि अवस्था भोग – संत भानुदास अभंग अद्वैत – ३