मग लाउनी शिंकियाच्या – संत निळोबाराय अभंग – १०४

मग लाउनी शिंकियाच्या – संत निळोबाराय अभंग – १०४

2 years ago

मग लाउनी शिंकियाच्या - संत निळोबाराय अभंग - १०४ मग लाउनी शिंकियाच्या हारी बैसल्या जागत आपुल्या घरीं कवडाआड आणि माजघरीं…

नाहींचि तुम्हां भीडचाड – संत निळोबाराय अभंग – १०३

2 years ago

नाहींचि तुम्हां भीडचाड - संत निळोबाराय अभंग - १०३ नाहींचि तुम्हां भीडचाड येथें करुं अल्याति बडबड कृष्ण माझा अवघ्यांसीं गोड…

लोगों से जब – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १७

2 years ago

लोगों से जब - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - १७ लोगों से जब इस बात का, साधुओं ने वां…

वह साधु जो – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १६

2 years ago

वह साधु जो - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - १६ वह साधु जो उतरे थे वां, कुछ थे रूपे…

सुनाकुमरी आमुचे – संत निळोबाराय अभंग – १०२

2 years ago

सुनाकुमरी आमुचे - संत निळोबाराय अभंग - १०२ सुनाकुमरी आमुचे घरीं त्यांतेही चाळवुनियां निर्धारी लोळे सेजाबाजावरी आणखीही करी काय नेणों…

गोवळसंगे चोरिया करी – संत निळोबाराय अभंग – १०१

2 years ago

गोवळसंगे चोरिया करी - संत निळोबाराय अभंग - १०१ गोवळसंगे चोरिया करी शिंकी उतरुनियां बाहेरी आणि फोडी गोवळकरीं कवळ देत…

कहते हैं यू – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १५

2 years ago

कहते हैं यू - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - १५ कहते हैं यू एक देस में, रहते जो कितने…

येरें शब्द ते – संत निळोबाराय अभंग – १००

2 years ago

येरें शब्द ते - संत निळोबाराय अभंग - १०० येरें शब्द ते ऐकोन उभा ठाकला जगज्जीवन माता म्हणे हे अवगुण…

दिन रात की – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १४

2 years ago

दिन रात की - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - १४ दिन रात की माला फिरी श्रीकृष्ण जी श्रीकृष्ण जी।…

सब तज दिया – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १३

2 years ago

सब तज दिया - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - १३  सब तज दिया हरि ध्यान में, यह पीत का…

जूं जूं बढ़ा – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १२

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जूं जूं बढ़ा - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - १२ जूं जूं बढ़ा हिरदै में मत, मधु प्रेम का…

इस भेद का – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ११

2 years ago

इस भेद का - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - ११ इस भेद का ऐ दोस्तों, इस बात में देखो…

जिस मन हरन – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – १०

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जिस मन हरन - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - १० जिस मन हरन महबूब से, मन की लगाई चाह…

करते हैं नित – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ९

2 years ago

करते हैं नित - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - ९ करते हैं नित उस काम को, जो है समाया…

रहते हैं खु़श – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ८

2 years ago

रहते हैं खु़श - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - ८ रहते हैं खु़श जी में सदा, दिल गीर कुछ…

यावरी गडियांसीं खेळत – संत निळोबाराय अभंग – ९९

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यावरी गडियांसीं खेळत - संत निळोबाराय अभंग - ९९ यावरी गडियांसीं खेळत आला यमुनेतीरा आंत क्रीडा करितां करितां आर्त देखिलें…

मग बैसवूनियां पाटावरी – संत निळोबाराय अभंग – ९८

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मग बैसवूनियां पाटावरी - संत निळोबाराय अभंग - ९८ मग बैसवूनियां पाटावरी ताटीं वाढिल्या नानापरी दूध दहीं तूप साय वरी…

बीजक लगाते हैं – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ७

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बीजक लगाते हैं - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - ७ बीजक लगाते हैं जहां, धोका नहीं पज़ता ज़रा। जिस…

घरीं आपुलिया मातेपाशीं – संत निळोबाराय अभंग – ९७

2 years ago

घरीं आपुलिया मातेपाशीं - संत निळोबाराय अभंग - ९७ घरीं आपुलिया मातेपाशीं देखोनियां मागें शशी म्हणे देंईवा खेळावयासी आणूनी तो…

म्हणती कृष्ण आवडे – संत निळोबाराय अभंग – ९६

2 years ago

म्हणती कृष्ण आवडे - संत निळोबाराय अभंग - ९६ म्हणती कृष्ण आवडे कैसा जीवप्राण का पढिये जैसा एकी म्हणती गे…

हैं रूप दर्शन – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ६

2 years ago

हैं रूप दर्शन - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - ६ हैं रूप दर्शन आस के, चित के रूपे मन…

है यह जो – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ५

2 years ago

है यह जो - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - ५  है यह जो सर्राफ़ा मियां, हैं इनमें कितने और…

थोड़ी सी पूंजी – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ४

2 years ago

थोड़ी सी पूंजी - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता - ४ थोड़ी सी पूंजी जिनके है, बैठे हैं वह भी मिलके…

कुछ मोल – श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता – ३

2 years ago

कुछ मोल - श्रीकृष्ण व नरसी मेहता कविता - ३ कुछ मोल मज़कूर है, कुछ ब्याज का है ठक ठका। फैलावटें…