जमुनाके तट धेनु चरावत । राखत हैं गईया ॥१॥ मोहन मेरा सांइया ॥ध्रु०॥ मोरपंत्र शिरी छत्र सुहावे । गोपी धरत बहीया ॥२॥ भानुदास प्रभु भगतनको बछल । करत छत्र छाइया ॥३॥